Friday, October 23, 2009

If there is one.... it is U ..

If there is one thing in this Universe ...
... holding to which I can command every happiness in my life, it is UR HAND.
If there is one music in this Universe ...
... listening to which I can enjoy my entire life, it is UR LIPS.
If there is one beauty in this Universe ...
... gazing at which I can see my entire life, it is UR FACE.
If there is one happiness in this Universe ...
... feeling which I can cherish my entire life, it is UR SMILE.
If there is one flowing liquid in this Universe ...
... that pains me more than my blood, it is UR TEARS.
If there is one treasure in this Universe ...
... which I would live and die for, it is UR HEART.
If there is one heaven in this Universe ...
... which I would rather live into, it is UR LIFE.
If there is one entity in this Universe ...
... which I would ever ever love, it is U.

Ah, I wish I could succumb to you, more ... and more .. Ah! The pleasure it is ...

Friday, September 11, 2009

अरमान और अंजुमन ...


अरमान,

नहीं, मैं नहीं, मेरे अरमान महान हैं । उनके लिए अपनी जिंदगी क्षीण होती देखने का अलग ही मज़ा है मानो, सामने ही अपनी अंजुमन लुटी जा रही हो और उसे लुटता देखने के नशे ने स्वयं की आंखों में इतनी मदिरा भर दी हो कि वास्तविकता की परछाई तक उसमे घुल के कहीं डूब गई हो और ऐसी डूबी हो कि उसके अस्तित्व ने अपने को कहीं दूर छुपा लिया हो, जहाँ शायद चाहत और प्रेम की सबसे फ़ीकी और सूक्ष्म किरण भी पहुँचने से इनकार कर चुकी हो, और वो भी सिर्फ़ सर नही अपितु पूरा ह्रदय हिलाकर, मानो कि उम्मीद का कोई ज़र्रा तक ज़िंदा न छोड़ना चाहती हो ।।

ख़ैर, आओ मिल के लूटते हैं इस अंजुमन को । बस कुछ देर और, और शायद इसके टूटे टुकडों कि गणना असंभव हो चुकी होगी ? कतरा कतरा क्षीण करने का मज़ा कैसा होगा ? आख़िरी धागा खींचने का सुकून तो अद्वित्य होगा ? ज़र्रे ज़र्रे की मौत ज़रूर देखने लायक होगी ? और, बूँद बूँद उबलने के बाद का दृश्य तो शायद भयानक ही होगा ??

सोच के रोम रोम खड़ा हो रहा है ना ? मानो, ज़िन्दगी नष्ट करने का मज़ा, उसे जीने से कयी गुना हो ।।

तो फ़िर आओ, मिल के लूटते हैं इस अंजुमन को । तुम्हारा स्वागत है ...

प्रेम,
अंजुमन

Monday, August 3, 2009

ज़िन्दगी - सही मायनों में ...

आओ तुम्हें मिलवा दें तुम्हारी ज़िन्दगी के दो उन पहलूओं से जिनसे ना तो तुम आज तक सही मायनों में मिले ही हो और न ही शायद कभी मिलना भी चाहोगे ! हाँ हाँ, वही पहलू जिन्हें ना तो तुमने कभी महसूस किया और ना ही समझने की कोशिश ही की ! हाँ, वही पहलू जिन्हें बस कुछ ही दिन पहले तुम्हारे दिमाग ने तुम्हारे ही दिल में पनपने से पहले ही मौत के घाट उतार दिया था ! आओ आज आ कर के देखो उन्हें, उनमें से आज भी खून रिस रहा है ! अब बस कुछ दिन और, और इन पहलूओं से इतना खून बह चुका होगा की दिल और दिमाग दोनों सूखकर क्षीण हो चुके होंगे, बिल्कुल मुट्ठी भर मॉस की माफिक़ ! तब ज़िन्दगी तुम्हें ललकारेगी और तब तुम इस 'प्यार के पहलू' को दरकिनार भी नहीं कर पाओगे ! तब दिल के उस मॉस को निचोड़ कर ज़रूर देखना ! जो अद्वितीय एहसास तुम्हें तब होगा, वही तो है जिस दूसरे पहलू की बात मैं कर रहा था - 'तन्हाई का पहलू' !!

Sunday, February 1, 2009

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !!



जब तन्हाई भी रुसवा कर जाती है,
जब इन्तहां तलक बेबसी भर आती है,
और जब हर चीज़ तस्वीर तेरी दिखाती है,
तब तब ...

कोई भुला देने को कहता है, कोई अफसाना समझता है,
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !!!

एक आंसू से तेरे जब ये जान निकलने को आती है,
एक दुःख से तेरे जब मेरी ज़िन्दगी लड़खड़ा जाती है,
और एक मुस्कान जब तेरे चेहरे से जुदा हो जाती है,
तब तब ...

कोई इतराना कहता है , कोई नाज़ुक समझता है,
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !!!

जब यादें भी तेरी, तन्हा कम पड़ जाती हैं,
जब सोच कर तुझको, दर्द से दिल की नसें अकड़ जाती हैं,
और जब इस दर्द से, ये आँखें भी छलक आती हैं,
तब तब ...

कोई परवाना कहता है, कोई नाटक समझता है,
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !!!