Sunday, February 1, 2009

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !!



जब तन्हाई भी रुसवा कर जाती है,
जब इन्तहां तलक बेबसी भर आती है,
और जब हर चीज़ तस्वीर तेरी दिखाती है,
तब तब ...

कोई भुला देने को कहता है, कोई अफसाना समझता है,
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !!!

एक आंसू से तेरे जब ये जान निकलने को आती है,
एक दुःख से तेरे जब मेरी ज़िन्दगी लड़खड़ा जाती है,
और एक मुस्कान जब तेरे चेहरे से जुदा हो जाती है,
तब तब ...

कोई इतराना कहता है , कोई नाज़ुक समझता है,
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !!!

जब यादें भी तेरी, तन्हा कम पड़ जाती हैं,
जब सोच कर तुझको, दर्द से दिल की नसें अकड़ जाती हैं,
और जब इस दर्द से, ये आँखें भी छलक आती हैं,
तब तब ...

कोई परवाना कहता है, कोई नाटक समझता है,
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !!!