Monday, August 3, 2009

ज़िन्दगी - सही मायनों में ...

आओ तुम्हें मिलवा दें तुम्हारी ज़िन्दगी के दो उन पहलूओं से जिनसे ना तो तुम आज तक सही मायनों में मिले ही हो और न ही शायद कभी मिलना भी चाहोगे ! हाँ हाँ, वही पहलू जिन्हें ना तो तुमने कभी महसूस किया और ना ही समझने की कोशिश ही की ! हाँ, वही पहलू जिन्हें बस कुछ ही दिन पहले तुम्हारे दिमाग ने तुम्हारे ही दिल में पनपने से पहले ही मौत के घाट उतार दिया था ! आओ आज आ कर के देखो उन्हें, उनमें से आज भी खून रिस रहा है ! अब बस कुछ दिन और, और इन पहलूओं से इतना खून बह चुका होगा की दिल और दिमाग दोनों सूखकर क्षीण हो चुके होंगे, बिल्कुल मुट्ठी भर मॉस की माफिक़ ! तब ज़िन्दगी तुम्हें ललकारेगी और तब तुम इस 'प्यार के पहलू' को दरकिनार भी नहीं कर पाओगे ! तब दिल के उस मॉस को निचोड़ कर ज़रूर देखना ! जो अद्वितीय एहसास तुम्हें तब होगा, वही तो है जिस दूसरे पहलू की बात मैं कर रहा था - 'तन्हाई का पहलू' !!

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