Tuesday, August 12, 2008
' बे मौत मरेंगे तेरे चाहने वाले '
कल रात की ही तो बात है... सपने में मौत आ गई थी। पता नहीं क्यूँ उसे देख कर मुझे हँसी आ गई। इतने पर ही घुर्रा कर पूछती है, "बदतमीज़! तुझे मौत से डर नहीं लगता?" मैंने उसे फ़िर से हँसी में ही टाल दिया। सोचा, बेचारी नादान है। शायद नहीं जानती की, मैं तो रोज़ रात किसी की याद में मरके ही आँखें बंद करता हूँ। आज इसमें ये कौन सी नई बात ले कर आई है ??
Sunday, August 10, 2008
" प्रशंसा शर्मा "



भाईयोँ के इस जुड़वां जोड़े को भगवान,
काश तूने एक बहन भी दी होती...
'प्रहर्ष' - 'प्रबुद्ध' को प्यारी सी भगवान,
काश तूने एक 'प्रशंसा' भी दी होती...
संसार को बांटी तूने ये अनमोल दौलत,
इन्हें भी दी होती...
दीवाली का त्यौहार तूने दे दिया,
भइया-दौज इन्हें भी तो दी होती...
इन हाथों को भगवान,
इनमें खेलने वाली एक गुड़िया भी दी होती...
इन कानों को तूने,
भइया-भइया पुकारने वाली एक मीठी आवाज़ भी तो दी होती...
जब लायक तूने इन्हें बनाया,
तो इनके कंधो पर ज़िम्मेदारी भी दी होती...
इन मज़बूत हाथों को,
इन्हें थामने वाली एक नाज़ुक सी ऊँगली भी तो दी होती...
'प्रहर्ष' - 'प्रबुद्ध' को प्यारी सी भगवान,
काश तूने एक 'प्रशंसा' भी दी होती...
इनकी सूनी कलाइयों पर बंधने वाली,
एक-एक राखी इन्हें भी तो दी होती...
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